Thursday 9 April 2015

तुम नहीं हो !



तुम नहीं हो !

गुलदान कोने में सहमा सा पड़ा है।
मुझसे पूछना चाहता है -
कब आओगे ?
कब जाओगे ?
पर पूछता नहीं।

तरस गया है- जिन्दा फूलों को।
ये प्लास्टिक के फूल-
न खिलते हैं ,
न मुरझाते हैं ,
जैसे के तैसे
समय काट रहे हैं।

समय ही तो काट रहे हैं-
ये गुलदान,
ये दरों-दीवार,
और मैं भी
जैसे के तैसे  .…





5 comments:

  1. तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है,,बेहतरीन पंक्तियाँ

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  2. तरस गया है- जिन्दा फूलों को।
    ये प्लास्टिक के फूल-
    न खिलते हैं ,
    न मुरझाते हैं ,
    जैसे के तैसे
    समय काट रहे हैं।
    बहुत सटीक और सुन्दर शब्द संयोजन

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    Replies
    1. aap log aaye. bada achha laga.

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    2. This comment has been removed by the author.

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Images : courtsy google
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