Sunday, 12 October 2014

अहसास


एक अहसास
तेरे पास होने का
सिहरन
तेरी सांसों से छूने सा
खुशबू सी
हवा में यूँ फैल  गयी
चटक सा गया हो
कोई फूल अधखिला

जाने क्या था
वो झुकी पलकों सा
चाँद के पार चला
कोई पंछी मनचला
जैसे कुछ कहने सा 
वो पलक उठने सा

सूरज से, किरणों से
रौशन था  सवेरा
इधर से उधर -
यहाँ से वहां
तूँ जैसे फैल रही
मैं  तुम्हारा हूँ
जैसे तुम हूँ
तुम्ही हूँ।