Saturday, 21 March 2015

निंदिया


निंदिया के घरौंदों में सपनों को बुला लेना
पलकों के किवाड़ों को हौले से सटा लेना ।
टूटे न देखो ये निंदिया …
मोती से नयनों की निंदिया …
सपनों-सपनों मचलती ये निंदिया … ।।

हिडोले पे मद्धम सुरों के - ख्वाबों की अनगिन कहानी
सांसों की तुतली जुबानी - मन ही मन में सुना देना
पलकों के किवाड़ों को  हौले से सटा लेना ।
टूटे न देखो ये निंदिया …
नाजुक सी ज्यूँ बंद कलियाँ …
चाँद - तारों गुजरती ये निंदिया … ।।


उजला सवेरा उगेगा - रात के पार वाली जमीं पर
रात काली अँधेरी है तो क्या - ख़्वाब में है चमकता हुआ कल
यूँ अंधेरों से जब सामना हो - दीप दिल में जला लेना
पलकों के किवाड़ों को - हौले  से सटा लेना ।
टूटे न देखो ये निंदिया …
थक के सोती सुरीली सी निंदिया …
ख्वाब कल की संजोती ये निंदिया.... ।