Wednesday, 6 March 2013

कहो आओगे ?









आज आवाज दूँ तुमको-
तो कहो आओगे ?


जब तलक मैं
तेरे साथ चलता रहा
तूने सब ठोकरों में
सम्हाला मुझे ।
तूने मेरे लिए
कितने जोखिम लिये
और सब मुश्किलों से
निकाला मुझे ।

कैसी आँधी चली !
क्या बवंडर उठा !
दूर मुझसे हुआ
वो सहारा मेरा ।
डूबता जा रहा हूँ,
बचाओगे ?
आज आवाज दूँ तुमको
तो कहो आओगे ?
   *    *    *

थी वो गलती मेरी
दूर तुझसे हुआ
क्या पता किन शहों में
मैं भूला रहा ।
किस गली किस डगर पे
मैं घुमा किया

मेरी मंजिल कहीं
और मैं था कहाँ
किस नशे में न जाने
मैं चलता रहा ।
आज दूर आ गिरा
इस बियाँबान में ।
कह दो,
हाँथों से अपने उठाओगे ?
आज आवाज दूँ तुमको
तो कहो आओगे ?
   *    *    *

मैं था भटका हुआ
मैंने समझा नहीं
उस तेरे प्यार को
तेरे फटकार को ।
  
छूटा सबकुछ मेरा
पास कुछ भी नहीं
मेरी हस्ती का हर
दायरा खो गया ।

आज मैं हूँ जहाँ
संग कोई नहीं
टूटे रिश्ते सभी
छूटे साथी सभी
क्या मुझे
अपने सीने-लगाओगे ?
आज आवाज दूँ तुमको
तो कहो आओगे ?
    * - * - *





     

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