जिंदगी के नशे में \
कुछ गाता हूँ \
गुनगुनाता हूँ \
कभी चीखता चिल्लाता हूँ \
रोता रुलाता हूँ \
तो कभी हँसता हंसाता हूँ \
या कभी चादर ओढ़ कर \
चुप-चाप सो जाता हूँ…
Thursday, 18 July 2013
मुक्त-जीवन
मेरे अंक मे
तेरे प्यार की थाती नहीं
मेरे कल का सहारा नहीं
एक नया जीवन है
जो मुक्त है
भूत की परछाइयों से
और भविष्य की अपेक्षाओं से।
बहुत सुन्दर सुकोमल माँ सी मासूम प्यारी रचना
ReplyDeleteमाँ के अहसास की कोमल अनुभूति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
बहुत सुंदर माँ की ममता का कोमल अहसास .....
ReplyDeleteएक नया जीवन है
ReplyDeleteजो मुक्त है
भूत की परछाइयों से
और भविष्य की अपेक्षाओं से।
बहुत सुंदर...!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल रविवार, दिनांक 21/07/13 को ब्लॉग प्रसारण पर भी http://blogprasaran.blogspot.in/ कृपया पधारें । औरों को भी पढ़ें
ReplyDeleteअति सुन्दर..
ReplyDeleteसुंदर माँ की ममता....प्यारी रचना
ReplyDeleteहाँ, ये ममता का असीम आकाश ही है जिसने आसानी से इस भाव को समाहित कर लिया, वरना मैं तो डर रहा था कि शायद इसे माँ के अधिकार में encroachment माना जाएगा ।
ReplyDeleteआभार, कि आपने इसे सराहा ।
माँ की इस ममता को पकड़ के रखना, जकड के रखना .... भूत और भविष्य के पंजे दूर खींचने का प्रयत्न करते रहेंगे ...
ReplyDeleteप्रयत्न रहेगा ।
ReplyDeleteआपके सत्-प्रेरणा से ।
माँ की ममता ही कुछ ऐसी होती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
धन्यवाद भाई जी!
Delete