सब रूठ गए हैं मुझसे
तुम तो न रूठो;
आओ पास मेरे
मुझे अपने साये में सुलाओ;
बातें करो मुझसे
मुझे देखो
मुस्कराओ;
हलके से थपकी दो
जादू की झप्पी दो;
लिपटने दो मुझे खुद से |
धड़कनों के ताल पर बंधे हुए मेरे ये गीत
तुम्हारा स्पर्श पाते ही
अपने सारे राज
तुम पर खोल देंगे |
मुझे पता है
तुम इन्हें सहेज कर रख लोगे
सदा के लिए
अपने अन्दर
एक सच्चे साथी की तरह |
* * *
हाँ!
मै तुम्हारा स्पर्श चाहता हूँ
तुमसे लिपटना चाहता हूँ
तुम्हारे साये में सोना चाहता हूँ
तुम्हारे साये पे सर रख कर रोना चाहता हूँ |
पर मै मजबूर हूँ ;
दिल में कहीं डर है
दुनिया का;
कहीं दंभ है
सभ्य होने का |
कदम ठिठक जाते हैं
तेरी और उठते ही ;
हाँथ खिंच लेता हूँ
तेरा दमन छूते ही ;
हाँ !मै डरता हूँ |
मेरा डर, मेरा दंभ
मुझे खुद होने से रोकता है |
* * *
इसीलिए तुम्हे खुद मेरे पास आना होगा
आखिर मै तेरा ही तो हूँ |
* * *