आने वाले तेरा स्वागत !
नवल सूर्य की बंकिम किरणे
करती तेरा फिर-फिर अभिनन्दन।
आने वाले तेरा स्वागत !
नई कोंपलें, नाजुक डंठल
नई उमंगें, नव जीवन रस
पात-पात तेरा अभिरंजित
अभिसिंचित हो ओस कणों से
कली- कुमुद बन तूँ खिल जा रे !
खुशबू से इस धरा गगन को
जीवन भर- दम भर महका रे!
चन्द्र- चाँदनी इठलाती सी
जोहे तेरी राह ठिठककर।
आने वाले तेरा स्वागत।
तूँ आना बन बरखा पावन
बूँद बूँद हो तेरा शीतल
सूखी धरती के अंतर को
प्यासे जन के पीड़ित मन को
नेह नीर सिंचित कर जा रे !
निज समर्थ्य भर जन-मन के तूँ
ताप मिटा -संताप मिटा रे !
मन मयूर सा पंख पसारे
तुझे पुकारे आकुल हो कर।
आने वाले तेरा स्वागत !
साहस लेकर जग में आना
दुःख में सुन तूँ मत घबराना
संघर्षों के समर भूमि में
जीवन तुझे पुकारे प्रतिपल -
आता हूँ आवाज लगा रे !
सहज भाव से हर सुख दुःख को
आगे बढ़ कर गले लगा रे !
हार जीत से परे जगत में
जीवन लौ हो तेरा जगमग
आने वाले तेरा स्वागत !