पर्दा अभी उठा नहीं था । पर्दे के पीछे से आवाजें आ रही थी -
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! "
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! " .......
आवाजें धीरे-धीरे नजदीक आती हैं और अंततः पर्दे के पास तक पहुँच जाती हैं । पर्दा उठता है । मंच पे हल्की ग्रे लाईट है । वीरान और अस्त व्यस्त शहर के किसी कोने का दृश्य है । कुत्तों के दो झुण्ड आमने- सामने एक दूसरे पर भूंक रहे हैं-
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! "
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! " -----1, 2, 3, 4,......
"भौं ... भौं !!. भौं ... भौं ... भौं !!! भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!!! "
थोड़ी देर बाद वह कुत्ता हड्डी वहीँ छोड़ अपने झुण्ड में शामिल हो जाता है । कुत्तों के दोनों झुण्ड फिर से एक दूसरे पर भूँकने लगते हैं ।
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! "
" भौं ... भौं ... भौं ... भौं ...!!! " -----1, 2, 3, 4,......
पर्दा गिरता है । भूँकने आवाजें अब भी आ रही है । फिर ये आवाजेंधीरे-धीरे दूर जाती हुई नेपथ्य में विलीन हो जाती है।
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