तुम नहीं हो !
गुलदान कोने में सहमा सा पड़ा है।
मुझसे पूछना चाहता है -
कब आओगे ?
कब जाओगे ?
पर पूछता नहीं।
तरस गया है- जिन्दा फूलों को।
ये प्लास्टिक के फूल-
न खिलते हैं ,
न मुरझाते हैं ,
जैसे के तैसे
समय काट रहे हैं।
समय ही तो काट रहे हैं-
ये गुलदान,
ये दरों-दीवार,
और मैं भी
जैसे के तैसे .…
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है,,बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeletesundar :-)
ReplyDeleteतरस गया है- जिन्दा फूलों को।
ReplyDeleteये प्लास्टिक के फूल-
न खिलते हैं ,
न मुरझाते हैं ,
जैसे के तैसे
समय काट रहे हैं।
बहुत सटीक और सुन्दर शब्द संयोजन
aap log aaye. bada achha laga.
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