जिंदगी के नशे में \
कुछ गाता हूँ \
गुनगुनाता हूँ \
कभी चीखता चिल्लाता हूँ \
रोता रुलाता हूँ \
तो कभी हँसता हंसाता हूँ \
या कभी चादर ओढ़ कर \
चुप-चाप सो जाता हूँ…
Saturday, 16 April 2016
कमजोर क्षण
वो उस एक छन में प्यार नहीं हुआ पगली
जब हमारी आँखे टकराई
वो तो उत्स था
सृष्टि के आरम्भ से संचित प्यार का
हमारे अंदर से तुम्हारे अंदर से.....
एक झरना
जो कहीं से भी फूट सकता था
किसी भी कमजोर क्षण....।
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आपके विचार हमारा मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन करते हैं कृपया हमें इमसे वंचित न करें ।
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