अंधेरों की सनसनाहट
संगीत नही,
भयानक शोर
जो फाड़ डाले कान के परदों को -
अचानक थम जाती है ।
…शायद कोई आसन्न ख़तरा
घुल रहा है हवाओं में ।
… के शायद कोई नाग निकल पड़े झाड़ियों से;
या और कुछ ।
… के शायद मुझे भी चुप हो जाना चाहिए ;
इस विलाप को बंद करके
सतर्क हो जाना चाहिए
उस आसन्न खतरे के प्रति।
ReplyDeleteअंधेरों की सनसनाहट
संगीत नही,
भयानक शोर
जो फाड़ डाले कान के परदों को -
अचानक थम जाती है ।---------waah bahut khub----
aagrah haiu mere blog main bhi sammlit hon
धन्यवाद ! खरे जी
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है ।
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : लुंगगोम : रहस्यमयी तिब्बती साधना
New Post : A Ray of Hope
अंधेरा चुप होते हुए भी भर देता अहि अजीब सी घबराहट ... जो चौंका देती है मन को ...
ReplyDeleteअँधेरे की चुप्पी से सावधान रहना जरुरी है
ReplyDeleteवो चाहे हमारे अन्दर ही क्यूँ न हो ,,,,