Wednesday 16 October 2013

आसन्न खतरा


















अंधेरों की सनसनाहट
संगीत नही,
भयानक शोर
जो फाड़ डाले कान के परदों को -
अचानक थम जाती है ।

 …शायद कोई आसन्न ख़तरा
घुल रहा है हवाओं में ।

… के शायद कोई नाग निकल पड़े झाड़ियों से;
या और कुछ ।

… के शायद मुझे भी चुप हो जाना चाहिए ;
इस विलाप को बंद करके
सतर्क हो जाना चाहिए
उस आसन्न खतरे के प्रति। 
 

5 comments:


  1. अंधेरों की सनसनाहट
    संगीत नही,
    भयानक शोर
    जो फाड़ डाले कान के परदों को -
    अचानक थम जाती है ।---------waah bahut khub----

    aagrah haiu mere blog main bhi sammlit hon

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  2. धन्यवाद ! खरे जी
    आपके सुझावों का स्वागत है ।

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  3. अंधेरा चुप होते हुए भी भर देता अहि अजीब सी घबराहट ... जो चौंका देती है मन को ...

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  4. अँधेरे की चुप्पी से सावधान रहना जरुरी है
    वो चाहे हमारे अन्दर ही क्यूँ न हो ,,,,

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आपके विचार हमारा मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन करते हैं कृपया हमें इमसे वंचित न करें ।

Images : courtsy google
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