लिखने को तो जी बहुत कुछ चाहता है
पर डर लगता है
कहीं शब्दों की झाड़ियों में
जिंदगी उलझ कर न रह जाए।
read this in the context of my previous blog post
पर डर लगता है
कहीं शब्दों की झाड़ियों में
जिंदगी उलझ कर न रह जाए।
read this in the context of my previous blog post
No comments:
Post a Comment
आपके विचार हमारा मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन करते हैं कृपया हमें इमसे वंचित न करें ।