जिंदगी के नशे में \
कुछ गाता हूँ \
गुनगुनाता हूँ \
कभी चीखता चिल्लाता हूँ \
रोता रुलाता हूँ \
तो कभी हँसता हंसाता हूँ \
या कभी चादर ओढ़ कर \
चुप-चाप सो जाता हूँ…
Tuesday, 7 February 2017
गौरैया
एक छोटी सी चिड़िया इस सुन्दर गुलजार में आवाज देती है अपनों को
पर यहाँ और कौन है उसको सुनने वाला उसके गीत.. या उसका विलाप वो जहाँ भी है .. जिस भी मनोभूमि में; गुलजार में या बीहड़ में वह अकेली ही तो है * * *
2.
वैसे भी गौरैयों पे कौन ध्यान देता है। वो ना तो सेक्युलर हैं ना तो राष्ट्रवादी और ना ही साम्यवादी
संख्या ही क्या है उनकी?
उसपर से उनका ध्रुवीकरण भी तो नहीं संभव
उनके लिये तो न्यायलय के भी दरवाजे बंद हैं
क्योंकि वो वोट नहीं देते- इसीलिए वो सवाल भी नहीं पूछ सकते।
सरकार तो उनकी है जिन्होंने वोट दिया।
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आपके विचार हमारा मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन करते हैं कृपया हमें इमसे वंचित न करें ।
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